जिज्ञासा की सीढियाँ

महाराजा अभय सिंह जी की पत्नी रानी तुंवर जी ने १७४८ ई. में जोधपुर के नगरकोट के बीचोबीच झालरे का निर्माण करवाया था। यह जलाशय बाद में तुंवरजी या तूर जी के झालरे के नाम से जाना गया। यह कहानी इस झालरे की जगहों में बुनी कवितायेँ प्रस्तुत करती है। रेखाचित्र दर्शाते हैं कि कैसे ये स्थान विभिन्न गतिविधियों और लोगों के लिए अर्थ खोजते हैं। यह काम अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक समूह के सहयोग से तैयार किया गया है।

तुंवर जी का झालरा

जिस चौक पर झालरा स्थित है, वह घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जो झालरा को शहर का अत्यधिक उपयोग किया जाने वाला झालरा बनाता है। झालरे के चार किनारों में से एक के शीर्ष पर झालरे से पानी खींचने के लिए बैलों की एक जोड़ी द्वारा संचालित रहट या पर्शियन व्हील के निशान पाए गएँ हैं । पानी तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए, अन्य तीन किनारों में एक ज़िगज़ैग पैटर्न में किनारों के समानांतर सीढ़ियां हैं- जो एक झालरे की की पहचान है। झालरा २०० फीट गहरा है और इस के भीतरी हिस्से में नक्काशी की गई है। सूरज की स्थिति, पानी में आकाश का प्रतिबिंब, सीढ़ियों की ज्यामिति और नक्काशी एक साथ खेलते हैं और पूरे दिन झालरे की मायावी छवि प्रदान करते हैं। रात में भी, त्योहारों के लिए दीपक लगाने के लिए किनारों को आलों के साथ डिज़ाइन किया गया है। पानी के निकास के लिए टोंटी गायों / बैल और शेरों के चेहरों आकार में बनाई गई है, जो इसके धार्मिक महत्व को शिव-पार्वती और गणगौर के त्योहार से जोड़ती है।मुख्यत: त्योहारों के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले मंडपों को छतरियों और झरोखों के रूप में जाना जाता है। स्थानीय लोग अब इन जगहों का उपयोग पानी में गोता लगाने के लिए एक मंच के रूप में करते हैं। झालरे के आसपास के खुले क्षेत्र के साथ मिलकर यह वास्तुशिल्प इस चौक को एक हलचल भरा सार्वजनिक स्थान बनाता है जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है। संरक्षण प्रक्रियाओं के दौरान, टैंक को साफ करने के लिए खोदा गया था जिसके उपरांत कुएं के तल से जोधपुरी लाल बलुआ पत्थर के देवता, जानवर, मूर्तियाँ आदि निकाले गए।

स्केच टूर

तुंवर जी का झालरा एक भीड़-भरा व्यस्त स्थल है। विभिन्न प्रतिभागी दिन भर इस जल-शिल्प के साथ समय बिताते हैं और झालरे के साथ अपने -अपने जुड़ाव बनाते हैं। यहाँ शिल्प का एक स्केच टूर प्रस्तुत किया गया है, जो विभिन्न प्रतिभागियों के दृष्टिकोण और शिल्प पर उनकी यात्रा की कहानियों को प्रदर्शित करने का प्रयास है। अधिक जानने के लिए बिंदुओं पर क्लिक करें।

प्रतिभागी कलाकार

निशिता केडिया एवं भाविक मेहता के सहयोग के साथ अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र - बिल्व दोशी, जशराज सिंह जडेजा, लॉरेंस बर्कमैन्स, प्राची महाजन, अनघा वैद्य द्वारा चित्रित। छवि माथुर द्वारा लिखित अंश।